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लोकसभा चुनाव होने से पहले ही आम आदमी पार्टी में अंदरूनी कलह की खबरे कानों तक तो आयी| लेकिन प्रमाण सामने न आने पर सिर्फ विरोधियों की फैलायी खबर मात्र लग रही थी| लेकिन लोक सभा चुनाव में सिर्फ चार सीटें पंजाब से मिली थी व दिल्ली में एक भी सीट न आने की वजह से लगभग आम आदमी पार्टी विलुप्त सी दिख रही थी| हालाकि आप ने लगभग ३३ फीसदी वोट अपने पक्ष में करने में सफल तो रही लेकिन सीटों में तबदिल करने में असफल रही| लोक सभा चुनाव हारने के बाद तो लग रहा था मानो जैसे पार्टी धीरे-धीरे टूट रही थी| सबसे पहले लक्ष्मी नगर से बने विधायक विनोद कुमार बिन्नी बगावत करते नज़र आये| फिर शाजिया इल्मी जैसी बड़ी नेता ने मानो पार्टी को झटका ही दे दिया| उस वक्त ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे मानो पार्टी बिखर सी रही हैं|
पार्टी ने विधानसभा चुनाव लड़ने का मानो दाव खेल ही दिया था| ऐसे में योगेन्द्र यादव की चिट्ठी का सार्वजनिक हो जाना, अपने में कई प्रश्नों को जन्म दे रहे थे| किन्तु पार्टी एक जुट ही दिख रही थी| आम आदमी पार्टी का “पाँच साल केजरीवाल का नारा” और पार्टी के बड़े नेताओं से केजरीवाल की तुलना इन सभी कदमों ने भाजपा को अन्दर से हिला कर रख दिया| इन सभी को देख कर भाजपा के भि बड़े नेताओं की रैलियाँ, देश भर के सांसद व मंत्रीयों का दिल्ली विधानसभा चुनाव में जमकर प्रचार किया| पूर्व आईपीएस ऑफिसर किरण बेदी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर मानो मास्टरस्ट्रोक ही खेल दिया| तमाम दाव-पेचों के बाद, आप ने 67 सीट जीत प्रचंड बहुमत हासिल किया| लेकिन जीत के बाद तो माहौल ठीक होने की बजाय बिगड़ता ही चला गया| मीडिया में योगेन्द्र यादव व प्रशांत भूषण के पीएसी से बाहर करने की खबरें लगातार आयी| चार तारीख को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में योगेन्द्र व प्रशांत भूषण को पिएसी से बाहर कर दिया|
इन दोनों के बाहर जाने के बाद आप में बगावती सुर तेज होते हुए दिख रहे हैं| इन दोनों के बचाव में पहले मयंक गाँधी आए उन्होंने अपने ब्लॉग के जरिये भी पार्टी के ऊपर कई निशाने साधे| राजस्थान से भी आवाज़े उठी|
हाल ही में, 28 मार्च की रास्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी के चार नेता को बाहर का रास्ता दिखाया, योगेंदर यादव और प्रशांत भूषण के आरोप आम आदमी पार्टी की छवि को गहरा आघात लगाते दिख रहे हैं| योगेंदर यादव गुट का आप से इस्तीफा ना देना, व संघर्ष करते रहना| आप का योगेंदर टीम पर पार्टी विरोधी गतिविधियों करने के आरोप लगाना| इन तमाम आरोपों के बीच जनता हैरान व परेशान हैं, क्योंकि हर रोज नए स्टिंग व नए आरोप जनता को पचा नहीं पा रही हैं क्योंकि यह तो एक टीम थी जो अब बिखरती दिख रही हैं| जनता की उम्मीदे पूरी टीम को साथ देखने की खत्म हो रही हैं| अब आगे यह देखना जनता के लिए दुखदायी होगा कि आगे पार्टी में और कौन कौन बाहर जायेगा? क्या दिल्ली की जनता को अरविन्द केजरीवाल विश्वास दिला पायेंगे या फिर पार्टी बिखरने की कगार पर आ जाएगी या फिर तमाम उठ रही आवाजों पर गौर किया जायेगा व आंतरिक लोकतंत्र बनाया जाएगा| मेरे ज़ेहन में तो सिर्फ एक ही सवाल इस वक्त बनता हैं क्या होगा आप का?
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